Tuesday, April 17, 2012

"कुछ दूर मेरे साथ चलो"

ये साथ है कुछ पल दो पलों का,
ये रात है बस कुछ पल दो पलों की,
ये सफ़र है बस कुछ चाँद मीलों का,
मुझे तन्हा छोड़ने के लिए,
 कुछ दूर मेरे साथ चलो, 
मुझे तन्हा छोड़ने के लिए,
 कुछ दूर मेरे साथ चलो........


ये कारवां बस यूहीं चलेगा ,
तारो की महेफिल में फिर चाँद तन्हा होगा,
साया भी हमराही बन ,थक कर,
कुछ पल अंधेरों में साथ छोड़ देगा,
तुम मेरे हमराही बन कर ,
 कुछ दूर मेरे साथ चलो,
मुझे तन्हा छोड़ने के लिए,
 कुछ दूर मेरे साथ चलो,

 ये सफ़र है बस कुछ चाँद मीलों का,
     कुछ दूर मेरे साथ चलो........ 


हांथो में थाम हाँथ ,
बाहों में बाहें डाल,
जब थक कर मेरे कदम डगमगा जायें,
तुम मुझे गिरने से थाम लो,
मुझे तन्हा छोड़ने के लिए,
 कुछ दूर मेरे साथ चलो,

 ये सफ़र है बस कुछ चाँद मीलों का,
     कुछ दूर मेरे साथ चलो........ 


ए "  ज़िन्दगी "  ,
मुझे तन्हा छोड़ने के लिए,
 कुछ दूर मेरे साथ चलो,

 ये सफ़र है बस कुछ चाँद मीलों का,
     कुछ दूर मेरे साथ चलो........ 


मुझे तन्हा छोड़ने के लिए,
 कुछ दूर मेरे साथ चलो..............

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